
दलालों और बिचौलियों के चंगुल में भोजपुर का गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय
गड़हनी (भोजपुर) भोजपुर जिला का प्रखंड सह अंचल कार्यालय आज दलालों और बिचौलियों के चंगुल में फंसा हुआ है I इससे आम जनता त्रस्त,व्यथित और आक्रोशित है I पीड़ित व्यक्ति लचार परेशान होकर उच्चाधिकारियों यहाँ तक कि जिला के आलाधिकारियों से भी इसकी शिकायत कर चुकी है I लेकिन कार्रवाई करने का मात्र आश्वासन के अलावे कुछ भी आम जनता को हांसिल नहीं हुआ है I
भोजपुर जिला का गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय जिला मुख्यालय से महज बीस किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है I वर्ष 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव को जब क्षेत्र की आम जनता ने घेराव किया था इसके लिए बड़ा आंदोलन सड़क जाम किया था तो लालू जी को गड़हनी में प्रखंड सह अंचल कार्यालय बनाने की घोषणा करनी पड़ी थी I तीन अंचल सह ब्लॉकों को काटकर गड़हनी अंचल सह ब्लॉक का गठन हुआ था I जिसमें सन्देश,चरपोखरी और जगदीशपुर अंचल सह ब्लॉक के गांव का परिसीमन कर गड़हनी ब्लॉक सह अंचल कार्यालय बना था I
आज गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार और कदाचार का बोलबाला इस कदर ब्याप्त है कि यहाँ का प्यून भी मुहर लगाने के लिए बीस रुपया खुलेआम वसूलता है I किसी भी आवेदन का रिसीविंग प्राप्त करने के एवज में बीस रुपया वसूल किया जाता है I यहीं नहीं राजस्व कर्मचारी से लेकर,अमीन,अंचल निरीक्षक,साथ हीं साथ अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के स्तर पर भी भ्रष्टाचार और कदाचार का खुल्लमखुल्ला खेल बद्दस्तूर जारी है I प्रखंड सह अंचल कार्यालय में लगभग सभी पदों के अधीन दो से तीन नाजायज कर्मचारी को रखकर काम करवाया जाता है और घूसखोरी को इस तरह से जस्टीफाई किया जाता है कि काम के बोझ के कारण नाजायज कर्मचारी रखना पड़ता है जिसका सरकारी स्तर से कोई तनख्वाह नहीं है इसलिए इसकी भरपाई आम जनता से नाजायज पैसा लेकर किया जाता है I बात यहीं नहीं रूकती है नाजायज कर्मचारियों ने भी अपने चार पांच दलालों और बिचौलियों को पालपोसकर रखे हुए हैं जो अपना काम कराने के लिए जाने वाली आम आदमी से मुंहमांगा वसूली करके काम कराते हैं I
अगर नाजायज कर्मचारियों दलालों और बिचौलियों की सघन ,गहराई और गंभीरता से जांच हो विजिलेंस छापेमारी हो तो असलियत पता चल जायेगा कि इसका पोषक कौन कौन कर्मचारी और अधिकारी है I
गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय मजाल है कि कोई भी काम बिना रिश्वत चुकाए हो जाय I पीड़ित जनता जब अधिकारीयों से इसकी शिकायत करती है तो उन्हें हीं झड़क दिया जाता है I यहाँ तक बोल दिया जाता है कि क्या जिलाधिकारी ,अनुमंडल अधिकारी या फिर न्यायलय में खुल्लेआम घुस नहीं लिया जाता है क्या वहां भ्रष्टाचार नहीं है I क्या वहां लेनदेन नहीं होता है I ऐसी स्थिति में अधिकारीयों का यह जबाब सुनकर आखिर आम जनता क्या करे ?
अगर संचिकाओं की हैण्डराइटिंग की मिलान सम्बंधित कर्मचारियों से की जाय तो सारा मामला क्लियर हो जायेगा सब कुछ उजागर हो जायेगा I अगर कर्मचारियों और अधिकारीयों के मोबाइल की टेपिंग की जाय सीडीआर की छानबीन की जाय तो सरे दलालों और बिचौलियों का नाम उजागर हो जायेगा I अगर यहाँ पदस्थापित अधिकारीयों और सभी कर्मचारियों के घर छापेमारी हो जाय तो इनके नाजायज आमदनी कुकृत्यों का पोल खुल जायेगा I
मिडिया मंच की टीम में जब गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय के आसपास मुआयना किया पीड़ितों का मत लिया पूछताछ किया तो एक बिचलित करने वाली सच्चाई भी सामने है कि जदयू के पंचायत अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर लिखित शिकायत की है बावजूद जब कुछ नहीं हुआ तो आम जनता के शिकायतों पर कैसे सुनवाई होगी I लोगों ने बताया कि जो सजग जागरूक नागरिक इसका विरोध करता है तो कर्मचारियों यहाँ तक कि अधिकारीयों द्वारा सरकारी काम में बाधा डालने का झूठा मुकदमा दर्ज करने की खुलेआम धमकी दी जाती है यहाँ तक कि हरिजन एक्ट में मुकदमा दर्ज कर फ़साने सबक सिखाने की धमकी दी जाती है I नजदीक में थाना रहने के कारण पीड़ित मलछ कर मन मसोश कर रह जाता है I
अगर गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय में जगह जगह सीसीटीवी कैमरा लगा दिया जाय तो सब कुछ पोल खुल जायेगा कि कर्मचारी और अधिकारी क्या क्या कृत्य कुकृत्य लेनदेन करते हैं कब आते हैं कब जाते हैं I दलाल और बिचौलिए शराब पीकर क्या क्या गुल खिलाते हैं लोगों से कैसा सलूक किया जाता है I
बहरहाल राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों और जिला के आला अधिकारीयों को चाहिए कि गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय का औचक निरीक्षण कर विजिलेंस टीम भेजकर सच्चाइयों से खुद रूबरू हो और पीड़ित जनता के दुखदर्द को समझे उनका निराकरण करे I
गड़हनी प्रखंड सह अंचल कार्यालय में आज जन्म प्रमाण पत्र ,एलपीसी ,मृत्यु प्रमाण पत्र ,आय प्रमाण पत्र ,जाती प्रमाण पत्र ,आवास प्रमाण पत्र ,इंदिरा आवास ,बृद्धा पेंशन अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ लेने के लिए दलालों और बिचौलियों को मुंहमांगी रकम देनी पड़ती है I यहाँ तक कि कर्मचारी और अधिकारी खुद भी पैसा की लेनदेन से गुरेज नहीं करते हैं I
