महिला अवर निरीक्षिका के फर्जीवाड़ा  को उजागर करने वाले पत्रकार पर केस

महिला अवर निरीक्षिका के फर्जीवाड़ा  को उजागर करने वाले पत्रकार पर केस  

बिहार पुलिस खेलकूद में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार इसके नियुक्तियों में घोर अनियमितता को उजागर करने वाले पत्रकार पर उम्र और  खेल प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा कर पुलिस खेलकूद कोटे से बहाल महिला अवर निरीक्षक ने केस दर्ज कर फसाया I 
                   पुलिस खेलकूद कोटे से वर्ष 2018 में बहाल महिला पुलिस अवर निरीक्षक के पांच -पांच जन्मतिथियों को पत्रकार रमेश कुमार चौबे ने अपने आरटीआई आवेदनों से प्राप्त सूचना के तहत उजागर किया है I पत्रकार रमेश कुमार चौबे ने ही एथलैटिक्स फेडरेशन और इण्डिया से सूचना मांग कर उजागर किया है कि जिस इनडोर गेम सर्टिफिकेट्स पर उसकी बहाली हुई है उस गेम का ओलम्पिक एसोशिएशन ऑफ इंडिया से मान्यता ही नहीं प्रदान है I बल्कि रमेश कुमार चौबे ने ही वर्ष 2018 से बने आ रहे सभी डीजीपी को शिकायत आवेदन में तथ्यों का रहस्योद्घाटन किया है कि महिला अवर निरीक्षिका शादी सुदा है कि नहीं सर्विस बुक में और विभिन्न कागजातों में वो वर्ष 2018 से हीं अपने कोंच हवालदार से शादीशुदा है I जमीन और मकान खरीदगी तथा हॉउस लोन और इन्सुरेंस में पति का नाम वर्ष 2018 से ही दर्ज कराने के रहस्यों को उद्भेदित किया है I शारीरिक रूप से अनफिट मानक हाइट से कम और कागजी खानापूर्ति कर बहाल हुई अवर निरीक्षिका के बहाली को निरस्त करने के लिए पत्रकार रमेश कुमार चौबे के निकाले डाकुमेंट को संलग्न कर और इनके शिकायत आवेदनों  को संलग्न कर प्रभावित और योग्य बंचित अभ्यर्थियों ने पटना उच्च न्यायलय में तीन तीन रिट याचिका दायर किया है I बावजूद पुलिस विभाग से गर्दन फंसने के कारण जाँच के नाम पर लीपापोती की गई है I 
                   बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय जब बीएमपी के महानिदेशक थे तो उन्होंने तीन सदस्यीय उच्च अधिकार अधिकारी या फिर डीजी टीम से जाँच कराने सम्बन्धी पत्र तत्कालीन डीजीपी के एस द्विवेदी को लिखा था I लेकिन इसमें भी लीपापोती की गई और नियुक्ति पदाधिकारी रहे अब रिटायर्ड हो चुके तत्कालीन आईजी खेल कूद भर्ती बोर्ड गोपाल प्रसाद से ही जांच कराकर रिपोर्ट माँगा कागजी खाना पूर्ति किया I यह कहाँ से किस दृष्टिकोण से न्याय संगत है कि जिसपर खेलकूद में लेनदेन और कागजी खानापूर्ति और बिना ट्रायल के बहाली करने का आरोप है उसी से मामले की जांच कराकर लीपापोती की जाय I 
                बहरहाल पटना के महिला थाना में कांड संख्या 62 /21 में महिला अवर निरीक्षिका ने अपने ही कोंच हवालदार राकेश कुमार सिंह पर लगातार दस साल से यौन उत्पीड़न का केस पोस्को एक्ट अंतर्गत दर्ज करा दिया है I जिसमे उद्भेदन करने वाले पत्रकार को भी यह कहते हुए नामजद अभियुक्त बना दिया है कि पत्रकार रमेश कुमार चौबे मिडिया और सोशल मिडिया में उसके विरुद्ध लिखते है I 
                 यहाँ यह सवाल उठता है कि पत्रकार का काम ही है सच्चाई को उजागर करना सच लिखना तो ऐसे में हर दृष्टिकोण से पत्रकार द्वारा अपने सूचना आवेदनों के जरिये एवं विभिन्न पुलिसिया स्त्रोतों से हांसिल तथ्यों को उजागर करना अपराध कैसे हो गया ? 
                 महिला पुलिस अवर निरीक्षिका के द्वारा दर्ज एफआईआर को बारीकी से अध्ययन करने से सारे रहस्यों से खुद पर्दा उठ रहा है कि पुलिस खेलकूद में किस तरह से कदाचार ,यौनाचार ,अनियमितता और फर्जीवाड़ा सहित कितने कुकृत्य हुए हैं I अपने 13 पन्ने के लिखित एफआईआर आवेदन में खुद ही पुलिस अवर निरीक्षिका ने अपने  कई पुरुष मित्रों का जिक्र किया है I बहरहाल गहराई से सचाई जानने के लिए अनुसन्धान और गहराई से पर्वेक्षण करने की जरुरत है I मिथलेश स्टेडियम का क्वाटर नंबर एक में दशकों से रहने वाले सिपाही से डीएसपी बने बेलहर बांका डीएसपी और इनकी पत्नी सिपाही से इन्स्पेक्टर बनी अभी पटना सिविल कोर्ट में स्पीडी ट्रायल में इंचार्ज इंपेक्टर और सीआईडी में सिपाही पद पर प्रतिनियुक्ति पर तैनात के तानाबाना बुने और स्क्रिप्ट लिखे तथ्यों पर महिला कांड संख्या 62 /21  दर्ज होने और पत्रकार को इस केस में घसीटने की बातों की चर्चा सरेआम हो रही है I डीएसपी और इनकी पत्नी के ऑडियो भी वाइरल हो रहे हैं जिसमें पीड़िता के बारे में डीएसपी और उनकी पत्नी ने पीड़िता के कोंच और विभिन्न कागजातों से पति के रूप में दर्शाये गए हवलदार राकेश कुमार सिंह की आपसी बातें सामने आयी है I जिसमें कई घिनौने  बाते करते और सेक्स रैकेट और सप्लायर की बात सामने आयी है I कहा जा रहा है कि पीड़िता के कोंच ने ही यह ऑडियो वाइरल किया है I वाइरल ऑडियो की फॉरेंसिक जाँच से सब कुछ क्लियर हो जायेगा I पुलिस खेलकूद में यौनाचार की बातें समय समय पर सामने आता है लेकिन इस बिंदु पर गहराई से जानबूझकर जाँच नहीं किया जाता है कि इसके जड़ में अनेक वरीय अधिकारीयों के जो इसमें किसी न किसी रूप में संलिप्त हैं के चरित्र से पर्दा उठ सकता है I आखिर दशकों से सिपाही से डीएसपी और सिपाही से इन्स्पेक्टर बनी दम्पति के अनैतिक कार्यों को कौन संरक्षित कर रहा है ? इनपर पुलिस मैनुअल के ट्रांसफर पोस्टिंग नियम क्यों किन कारणों से शिथिल है ? इसकी गहराई से तपसिस होने पर खेलकूद की गन्दगी से पर्दा उठ सकता है I 
                   महिला अवर निरीक्षिका द्वारा 13 पन्ने के लिखित एफआईआर में दस साल से लगातार यौन उत्पीड़न की बात अपने कोंच पर ही लिखी गई है I ऐसे में एक पत्रकार को जानबूझकर षड़यंत्र पूर्वक घसीटने के तथ्यों की सीआईडी जाँच या सीबीआई जांच होनी चाहिए I 

महिला अवर निरीक्षिका के फर्जीवाड़ा  को उजागर करने वाले पत्रकार पर केस