
भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण सुपौल के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल सिंह को झूठे मुकदमे में फंसा जेल भेजा गया
बिहार के सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज के जाने -माने आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल कुमार सिंह को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजा गया है I उन्हें जेल भेजे जाने के बाद उनकी रिहाई के लिए समाज के जागरूक लोग गोलबंद होने लगे हैं। त्रिवेणीगंज के आरटीआई एक्टिविस्ट सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने केंद्रीय सूचना आयुक्त को मेल से ज्ञापन भेजकर जेल में बंद आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह को बिना शर्त दोषमुक्त कर रिहाई की मांग करते हुए दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग किया है। भेजे गए ज्ञापन की प्रति राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री ,सहित आला अधिकारियों को भी दी गई है।
भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि बिहार सरकार के अवर सचिव द्वारा 7 दिसम्बर 2020 को जारी आदेश के आलोक में किसी आरटीआई कार्यकर्ता को झूठे केस में फंसाकर जेल भेजने वाले के विरुद्ध दंडित करने और अनुशासनिक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
आरटीआई कार्यकर्ता श्री सिंह ने बीरपुर कौशकी भवन में लगाये गए घटिया उपस्कर सम्बंधित सूचना की मांग कर इसमें करोड़ो रूपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था।इसी से बौखला कर उनके खिलाफ साजिशन झूठा केस दर्ज कर आनन फानन में जेल भेज दिया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि श्री सिंह ने वर्तमान डीएम और पूर्व डीएम के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की भी शिकायत दर्ज कराया था जिसकी जाँच चल रही है। इतना ही नही ,उन्हें जेल भेजे जाने के बाद अन्य दो झूठे मुकदमे और दर्ज करा कर श्री सिंह को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। पूरे मामले की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।