पूरी दुनिया में तनाव और प्रतिद्वंदिता बढ़ रही है 

पूरी दुनिया में तनाव और प्रतिद्वंदिता बढ़ रही है 

आलेख :-रोशन लाल अग्रवाल 
 पूरी दुनिया में तनाव और प्रतिद्वंदिता बढ़ रही है आम आदमी से लेकर सारे देशों की सरकारें तक एक दूसरे से आगे निकलने का प्रयास कर रही है उन्हें यह डर सता रहता है कि उनका प्रतिद्वंदी उनसे आगे निकल जाए और कमजोर पड़ने पर उन्हें भारी क्षति उठानी पड़े।

सभी देशों की सरकार जो भी करती है उसी से उन देशों के सारे नागरिक अधिक प्रभावित होते हैं और अपने देश की आर्थिक नीतियां भी उन्हीं को बढ़ाने का अधिकार होता है और उनके देशों के नागरिक उन्हीं का पालन करने के लिए मजबूर भी होते हैं और इसके लिए कानून व्यवस्था को बनाए रखने और उचित कानूनी सुधार करने का अधिकार भी सरकारों को ही होता है और आज शक्तिशाली गिने चुने देश ही पूरी दुनिया को अपने पीछे चलने के लिए मजबूर भी कर रहे हैं जिसमें उनकी युद्ध क्षमता और आर्थिक क्षमता की मजबूती सबसे ज्यादा निर्णायक होती है। यहां तक की सामाजिक रीति रिवाज और मान्यताएं उन्हीं का अनुसरण करती हैं। लेकिन आजकल इनमें कोरोना संकट के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका थी खासी महत्वपूर्ण हो गई है जिस पर चीन का अधिकार है।

चले दिनों चीन की अर्थव्यवस्था बाकी सभी देशों की तुलना में बहुत तेजी से मजबूत हुई है और उसकी युद्ध क्षमताओं मैं भी भारी वृद्धि हो रही है लेकिन क्योंकि अमेरिका के पास पहले से संग्रहित शक्तिशाली युद्ध सामग्रियों का बहुत ज्यादा जखीरा एकत्र है और नए-नए आविष्कार भी लगातार होते जा रहे हैं इसलिए जब कई अवसरों पर चीन कुछ बड़ी धमकियां देने का प्रयास करता है तो उसे अमेरिका शांति के साथ अपने यहां बुला लेता है और अपनी युद्ध क्षमताएं उसके सामने प्रकट तो कर ही देता है बल्कि चीन की युद्ध सामग्रियों का भंडार उसने कहां कहां छुपा रखा है और वह पलक झपकते ही चीन के सारे भंडार को नष्ट भी कर सकता है इस बात का पूरा विश्वास चीन को दिला देता है और चीन की सारी हेकड़ी थोड़ी सी देर में ही म्याऊं म्याऊं में बदल जाती है।

दुनिया के कुछ दूसरे शक्तिशाली देश भी विश्व के देशों में युद्ध सामग्रियां बेचकर अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास करते रहते हैं और युद्ध सामग्रियों को बेचना सबसे बड़ा व्यवसाय बन चुका है।

युद्ध सामग्रियों को बनाने और बेचने में कुछ 8_10 देश ही आते हैं जिनमें अमेरिका चीन रूस इटली इजराइल फ्रांस जर्मनी आदि का नाम ही प्रमुख है लेकिन अब उसमें थोड़ा बहुत प्रवेश भारत का भी हो रहा है और यह सब नहीं था बल्कि इसके लिए तो मोदी सरकार को ही शरीर दिया जा सकता है।

अगर पुरानी बात की जाए तो भारत युद्ध सामग्री खरीदने वालों में सब देशों से बहुत आगे रहने वाला देश सही था और कांग्रेस की किसी भी सरकार ने युद्ध सामग्री के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में थोड़ा सा भी प्रयास नहीं किया और इसीलिए भारत दुनिया के दरिद्र देशों में गिना जाता रहा और भारत को युद्ध सामग्री भेज कर कई देश लगातार मालामाल होते रहे जिनके नाम आप लोग भी जरूर जानते होंगे इसलिए उनके नाम दिलाने की ज्यादा आवश्यकता नहीं है।

जहां तक विश्व की अर्थव्यवस्था के ऊपर नजर रखने की कोशिश का सवाल है तो मेरी जानकारी के अनुसार ब्रिटेन की बीबीसी सर्विस इसमें सबसे आगे है और उसमें इसी के बल पर ब्रिटेन की सरकार को निरंतर मालामाल करते रहने का प्रयास जारी रखा है जो वह परिस्थितियों के अनुसार अपना प्रसारण भी बदलती रहती है और विश्व में दो देशों के बीच चलने वाले युद्धों में हार जीत की स्थिति को भी बदल देती है और विश्व की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देते रहने के लिए भी केवल प्रसारण के बल पर निर्णायक मोड़ देती रहती है।

महंगाई भ्रष्टाचार बेरोजगारी बाढ़ सूखा जमाखोरी जनता की मानसी की स्थिति आदि का अपना निष्कर्ष बताती भी रहती है जिसे ज्यादातर मोहन लाल शर्मा निर्देशित करते रहते हैं और हर हफ्ते का एक सवाल और उनके निष्कर्ष बताते रहते हैं लेकिन उनकी खास बात यह है कि वह कभी भी किसी कारण को निश्चित नहीं बताते और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर चलने की बजाए भटकाने का प्रयास करते रहते हैं जो मैं बीबीसी के निरंतर अवलोकन से समझता भी रहता हूं क्योंकि मैं पिछले 50 वर्षों से भी लंबे समय से लगातार सुनने का प्रयास कर रहा हूं और यह बहुत अच्छी तरह समझ गया हूं कि इसके पीछे ब्रिटेन की मंशा क्या है और आप समझ सकते हैं कि बीबीसी ब्रिटेन की संस्था है जो प्रमुख रूप से उसके हितों के लिए ही काम करती है।

मेरे पास बीबीसी की कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं जिन्हें मैं कभी समय आने पर बताते का प्रयास करता रहूंगा।

क्योंकि मैं जानता हूं की ब्रिटेन आज भी अपनी समृद्धि को कैसे बनाए हुए हैं जो उसने आधी से बड़ी दुनिया के ऊपर छल बल और कपट से लूटी थी और वह स्विट्जरलैंड जैसे छोटे से देश में बड़े तरीके से रखी हुई है लेकिन विश्व के देश समझते हैं कि स्विट्जरलैंड तो टैक्स हेवन देश माना जाता है जिसमें वहां की जनता पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगता लेकिन लोगों के मन में यह सवाल कभी नहीं उठता कि आखिर वहां का बजट कैसे चलता है और वहां की जनता खुश भी रहती है और शांतिप्रिय भी। लेकिन मैं इसकी जड़ को जानता हूं और यह भी जानता हूं की स्विट्जरलैंड में रखा धन ब्रिटेन की पूरी दुनिया के देशों से लूटी गई दौलत ही तो है और ब्रिटेन ने अपनी एक चालाकी केबल पर पूरी दुनिया का ध्यान उधर जाने से भी रोक रखा है और उसी पैसे से मिले ब्याज
केबल पर अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत भी बनाए रखा है।

मैं ब्रिटेन के इस हथियार को भी अच्छी तरह जानता हूं कि उसने पूरी मानवता और दुनिया को आपस में लड़ा रखा है लेकिन दुनिया तालिबान इस्लाम चीन अमेरिका इजरायल भारत आदि के ऊपर दृष्टि रखे हुए हैं और ब्रिटेन मजे से लूट का आनंद आज भी ले रहा है। मेरी समझ में आप में से कुछ लोग तो ब्रिटेन का इतिहास जरूर जानते होंगे कि ब्रिटेन एक समय केवल एक समुद्री लुटेरा देश था और बाद में पूरी दुनिया को अन्याय पूर्वक लूट लूट कर उसने ब्रिटेन को दुनिया का सबसे धनी देश बना डाला लेकिन परिस्थितियों के बदलते समीकरण के कारण आज ब्रिटेन की विश्व से सत्ता तो चली गई लेकिन उसकी समृद्धि पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है और यहां तक की पूरी दुनिया उसे सबसे बड़ा लुटेरा भी नहीं कहती है।

अब मेरा यही कहना है कि थोड़ा बहुत दिमाग लगाने का फर्ज तो आपका भी है और अगर आप लगातार पूरी दुनिया के ऊपर थोड़ी बहुत नजर रखते हैं तो आपको भी अपनी बात शामिल करनी होगी और जिन प्रश्नों का उत्तर मैंने जानबूझकर नहीं दिया आप इस सवाल का उत्तर भी जरूर देना चाहेंगे।

मैं इसकी आशा सामान्य लोगों से या मध्यम बुद्धि के लोगों से नहीं कर सकता लेकिन अपने आप को बुद्धिमान समझने वाले लोगों को तो अपनी चर्चा में जरूर शामिल करने का प्रयास जरूर करूंगा और देखूंगा कि आप कितने बुद्धिमान हैं और मेरे प्रश्न की ओर कितना आकर्षित होते हैं और आप में से कितने लोग इन प्रश्नों का सही उत्तर देते हैं।

मैं अपने अध्ययन और अनुभव को साझा करने का कारण बता देता हूं कि मैं पूरी मानवता का सरल और निष्पक्ष हृदय से पूरी श्रद्धा से सम्मान करता हूं और पूरी दुनिया में शांति सद्भाव प्रेम और विश्वास में वृद्धि होते हुए देखना चाहता हूं मैं पूंजीवाद को पूरी दुनिया और मानवता का सबसे बड़ा शत्रु मानता हूं और यह भी बता देता हूं कि पूंजीवाद और किसी की नहीं दुनिया को लूटने वाले ब्रिटेन की ही देन है और उसी के बल पर ब्रिटेन आज भी दुनिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए हैं।

लेकिन भारत तो शुरू से ही मानवता का पुजारी रहा है और वसुधैव कुटुंबकम के प्रति समर्पित रहा है और यहां का सनातन धर्म इसी बात को करने का प्रयास करता रहता है।

लेकिन मैं यह भी अच्छी तरह जानता हूं कि मानवता की रक्षा और सनातन धर्म की रक्षा भी परिस्थितियों के आधार पर ही की जा सकती है लेकिन अधिकांश पुंगा पक्षी या पंडे पुजारी यह काम नहीं कर सकते और इसके लिए तो कोई विलक्षण व्यक्ति ही पैदा होता है और उस काम को कर दिखाता है। मानवता के प्रति सभी सबकी श्रद्धा विश्वास बनाए रखने का प्रयास हम सबके हृदय में अमरता रहे और हम सनातन धर्म के उत्तराधिकारी अपने प्रयास में निरंतर लगे रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ विश्व शांति की कामना करते हुए आज की अपनी बात समाप्त करता हूं और इसी प्रयास में लगने के लिए भारत के या और विश्व के सभी बुद्धिजीवियों को प्रेरित और आमंत्रित करता हूं ताकि हम सभी मिलकर पूरी मानवता को सुरक्षित रख सकें और विश्व में एक दूसरे को मारने काटने के लिए बढ़ते खतरे से विश्व के गरीबों लाचार लोगों और अज्ञान के शिकार लोगों को अपने बराबर खड़ा कर सकें जिनमें कोई भी गरीब लाचार और आंसू बहाने वाला नहीं हो और सभी एक दूसरे में आत्म भाव का दर्शन कर सकें।
सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
लेखक रोशन लाल अग्रवाल एक ख्यातिप्राप्त आर्थिक चिंतक समाजशास्त्री हैं 

पूरी दुनिया में तनाव और प्रतिद्वंदिता बढ़ रही है